प्रतियोगी छात्र ने कहा कि लोक सेवा आयोग के पास सिर्फ परीक्षा कराने की जिम्मेदारी है और वह इस जिम्मेदारी को भी पूरा करने में असमर्थ है।
Santosh Kumar | November 12, 2024 | 08:42 AM IST
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा 'पीसीएस प्री' और 'आरओ एआरओ' परीक्षा दो दिन में कराने के फैसले के विरोध में सोमवार (11 नवंबर) से शुरू हुए छात्र आंदोलन के बीच आयोग ने कहा कि परीक्षा की शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा उसकी प्राथमिकता है। आयोग ने दो दिन में परीक्षा कराने की वजह भी बताई। हालांकि, छात्र अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि आयोग का एक ही काम है- बिना किसी व्यवधान के परीक्षा कराना और वह यह भी नहीं कर पा रहा है।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि परीक्षाओं की शुचिता और छात्रों के भविष्य की रक्षा के लिए केवल उन्हीं केंद्रों पर परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, जहां गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं है। दूरदराज के केंद्रों पर गड़बड़ी के कारण इन्हें हटाया गया है।
यूपीपीएससी ने बताया कि अभ्यर्थियों ने आयोग को पत्र भेजकर अवगत कराया है कि कुछ टेलीग्राम और यूट्यूब चैनल परीक्षा स्थगित करने की साजिश कर रहे हैं। प्रतियोगी छात्रों ने सोमवार को आयोग के गेट पर धरना शुरू किया, जो देर रात तक जारी रहा।
आंदोलन के दौरान पुलिस को प्रदर्शनकारी प्रतियोगी छात्रों पर लाठीचार्ज करना पड़ा। इस पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 'एक्स' पर पोस्ट में लिखा, "युवा विरोधी भाजपा का छात्राओं और छात्रों पर लाठीचार्ज बेहद निंदनीय कृत्य है।"
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने आगे कहा कि जब अभ्यर्थियों ने लोक सेवा आयोग में धांधली रोकने की मांग उठाई तो भ्रष्ट भाजपा सरकार हिंसक हो गई। उन्होनें कहा कि हम फिर दोहराते हैं: नौकरियां भाजपा के एजेंडे में हैं ही नहीं।”
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पुलिस उपायुक्त (शहर) अभिषेक भारती ने कहा कि अधिकारी आंदोलनकारी छात्रों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं और समाधान निकालने के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) में बातचीत चल रही है।
इस दौरान लोक सेवा आयोग के गेट के सामने धरने पर बैठे छात्रों के हाथों में अलग अलग नारे लिखी तख्तियां थीं जिसमें किसी में लिखा था, “बटेंगे नहीं, हटेंगे नहीं, न्याय मिलने तक एक रहेंगे”, तो किसी में लिखा था, “एक दिन, एक परीक्षा”।
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प्रतियोगी छात्र विमल त्रिपाठी ने कहा, ‘‘छात्रों की मांग है कि परीक्षा पूर्व की तरह एक ही दिन में कराई जाए।’’ त्रिपाठी ने कहा, ‘‘आयोग का कहना है कि वह ये परीक्षाएं केवल 41 जिलों के सरकारी स्कूलों में ही करा सकता है क्योंकि उसके पास सीमित केंद्र हैं।
आयोग के पास केवल परीक्षाएं कराने की जिम्मेदारी है और वह इस जिम्मेदारी को भी पूरी करने में असमर्थ है। आखिर प्रदेश के सभी जिलों में परीक्षाएं एक ही दिन में क्यों संपन्न नहीं कराई जा सकती हैं।”
प्रतियोगी छात्रा मनोरमा सिंह ने कहा कि अधिसूचना में आयोग ने इस बात का जिक्र नहीं किया था कि परीक्षा दो दिनों में कराई जाएगी। बता दें कि आयोग ने पीसीएस प्री परीक्षा के लिए 7-8 दिसंबर और आरओ-एआरओ प्री परीक्षा के लिए 22-23 दिसंबर की तिथियां घोषित की हैं।