संसदीय समिति ने की छात्रवृत्ति मंजूरी में देरी के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की आलोचना

Santosh Kumar | August 13, 2025 | 09:30 AM IST | 2 mins read

संसदीय समिति ने अल्पसंख्यक समुदायों के लिए शैक्षिक योजनाओं को बंद करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की सिफ़ारिश की।

मंत्रालय की 2024-25 के लिए अनुदान मांगों पर की गई कार्रवाई पर अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
मंत्रालय की 2024-25 के लिए अनुदान मांगों पर की गई कार्रवाई पर अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए प्रमुख छात्रवृत्ति योजनाओं को मंजूरी दिलाने में विफल रहने के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की खिंचाई की है। 2024-25 के लिए मंत्रालय की अनुदान मांगों पर की गई कार्रवाई पर अपनी रिपोर्ट में, समिति ने उल्लेख किया कि अन्य मंत्रालयों की समान योजनाओं के साथ 'समन्वय' के अभाव के कारण 2022-23 से प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और अन्य छात्रवृत्तियां लंबित हैं।

समिति ने कहा कि इस देरी ने आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को महत्वपूर्ण सहायता से वंचित कर दिया है। समिति ने कहा, ‘‘समिति का दृढ़ मत है कि वित्तीय सहायता नहीं मिलने के कारण छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई होगी।

छात्रों को बिना किसी गलती के परेशान नहीं किया जाना चाहिए, प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। साथ ही, मंत्रालय को अन्य ऐसे समूहों को मिलने वाले लाभों के बराबर लाभ प्रदान करना चाहिए।

मंत्रालय के कारण छात्र उच्च शिक्षा से वंचित

रिपोर्ट में पाया कि राष्ट्रीय फेलोशिप, राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति, निःशुल्क कोचिंग और आवासीय शिक्षा जैसी कई योजनाएं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और जनजातीय कार्य मंत्रालय में बिना किसी रुकावट के कार्यान्वित की जा रही हैं।

हालांकि, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने इन योजनाओं को बंद कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन योजनाओं के बंद होने से, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अल्पसंख्यक समुदायों के ज़रूरतमंद और पात्र छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित कर रहा है।

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निर्णय पर पुनर्विचार करने की सिफारिश

समिति ने अल्पसंख्यक समुदायों के लिए शैक्षिक योजनाओं को बंद करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की सिफ़ारिश की। आजीविका सहायता के संबंध में, समिति ने पांच पूर्व कार्यक्रमों को मिलाकर बनाई गई पीएम विकास योजना के क्रियान्वयन पर मंत्रालय की अस्पष्ट प्रतिक्रिया पर असंतोष जताया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के तहत 2023-24 में कोई खर्च नहीं किया गया और इस बात पर ज़ोर दिया गया कि मंत्रालय को 2025-26 में 15वें वित्त आयोग का चरण समाप्त होने से पहले 2024-25 के बजट का पूरा उपयोग करना चाहिए।

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