NEET UG 2024: नीट परीक्षा रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की दलील, ईमानदार छात्रों को होगा नुकसान

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नीट यूजी 2024 का आयोजन 5 मई को किया गया था। (इमेज-पीआईबी इंडिया)
नीट यूजी 2024 का आयोजन 5 मई को किया गया था। (इमेज-पीआईबी इंडिया)

Press Trust of India | July 5, 2024 | 06:35 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि नीट यूजी मेडिकल प्रवेश परीक्षा में बड़े पैमाने पर गोपनीयता भंग होने के किसी सबूत के अभाव में पूरी नीट-यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा, क्योंकि परीक्षा के परिणाम पहले ही घोषित किए जा चुके हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को नुकसान होगा।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अखिल भारतीय परीक्षा में गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के सबूतों के अभाव में पूरी परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं, वह भी तब जब परीक्षा का परिणाम घोषित हो चुका हो।

हलफनामे में कहा गया है कि किसी भी परीक्षा में प्रतिस्पर्धा के अधिकार बनाए गए हैं। इसके चलते बड़ी संख्या में उन छात्रों के हितों को खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए, जिन्होंने बिना किसी कथित अनुचित साधन को अपनाए परीक्षा दी है। केंद्र ने कहा कि वह उन लाखों छात्रों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जिन्होंने निष्पक्ष रूप से प्रश्नपत्र हल किया है।

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NEET 2024 Controversy: उच्च स्तरीय समिति गठित

केंद्र सरकार ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा परीक्षाओं के पारदर्शी और निष्पक्ष संचालन के लिए प्रभावी उपाय सुझाने के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। सरकार ने कहा कि समिति परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार और एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली पर सिफारिशें करेगी।

समिति का नेतृत्व इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ के राधाकृष्णन कर रहे हैं और यह दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। हलफनामे में कहा गया है कि समिति ने विचार-विमर्श शुरू कर दिया है और पहले ही चार बैठकें कर चुकी है और हितधारकों, खासकर छात्रों के साथ परामर्श भी शुरू कर दिया है।

इसके अलावा 7 जुलाई तक ऑनलाइन सुझाव और विचार भी मांगे गए हैं। 8 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ 26 याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे। मेडिकल परीक्षा में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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