Abhay Pratap Singh | December 31, 2024 | 01:54 PM IST | 2 mins read
दिल्ली एचसी ने एमसीसी और यूओआई से दिव्यांग स्नातकोत्तर मेडिकल सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटों में बदलने का विरोध करने वाली याचिका पर जवाब मांगा है।
नई दिल्ली: नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट फॉर पोस्ट-ग्रेजुएशन 2024 (NEET PG 2024) राउंड 3 काउंसलिंग के दौरान पीडब्ल्यूडी पीजी मेडिकल सीटों को जनरल कैटेगरी की सीटों में बदलने पर दिव्यांग छात्रों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिक दायर की है। याचिका में कहा गया कि न्यूनतम प्रतिशत मानदंड में राहत देने में केंद्र सरकार की विफलता इसके लिए जिम्मेदार है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) और यूनियन ऑफ इंडिया (UoI) से नीट पीजी 2024 राउंड 3 काउंसलिंग प्रक्रिया के लिए दिव्यांग स्नातकोत्तर मेडिकल सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटों में बदलने का विरोध करने वाली याचिका पर अपना जवाब देने को कहा है।
याचिकाकर्ता साकेत अग्रवाल ने आठ अन्य पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों के साथ इस बदलाव को चुनौती देते हुए वकील रोहित सिंह और महेंद्र कुमावत के माध्यम से एक याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं ने आरक्षित सीटें काउंसलिंग के स्ट्रे वैकेंसी राउंड तक उपलब्ध रखने का भी अनुरोध किया है। जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने मामले की सुनवाई की।
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याचिकाकर्ताओं ने NEET PG काउंसलिंग के पहले दो राउंड के बाद आरक्षित सीटों के लिए पात्र दिव्यांग उम्मीदवारों की अनुपलब्धता पर चिंता व्यक्त की। पीडब्ल्यूडी कैंडिडेट को आशंका है कि इस राउंड के बाद घोषित न्यूनतम प्रतिशत मानदंड में कोई भी छूट दिव्यांग उम्मीदवारों को लाभ नहीं पहुंचाएगी, क्योंकि खाली आरक्षित सीटें पहले ही सामान्य श्रेणी की सीटों में बदल दी गई होंगी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले पर सहमति जताते हुए एमसीसी और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने अधिकारियों से अगली सुनवाई से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि दिव्यांग श्रेणी में योग्य उम्मीदवारों की अनुपलब्धता के कारण दिव्यांगों की अधिकांश सीटें खाली पड़ी हैं। केंद्र सरकार ने एआईक्यू/ राज्य कोटा सीटों में पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में बड़ी संख्या में सीटें खाली रहने के बावजूद नीट पीजी काउंसलिंग के लिए न्यूनतम कटऑफ मानदंड में राहत नहीं दी है।