Press Trust of India | February 4, 2025 | 06:37 PM IST | 2 mins read
न्यायमूर्ति बी आर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 7 फरवरी के लिए निर्धारित की।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (4 फरवरी) को नीट-पीजी 2024 के अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) चरण-3 के लिए नए सिरे से काउंसलिंग की मांग वाली याचिका पर केंद्र, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और अन्य से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 7 फरवरी के लिए तय की।
नीट पीजी 2024 काउंसलिंग के लिए पात्र याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कुछ राज्यों में काउंसलिंग के चरण-2 के समापन से पहले ही नीट-पीजी के लिए 'एआईक्यू' काउंसलिंग का चरण-3 शुरू हो गया था।
अधिवक्ता तन्वी दुबे द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता एआईक्यू और राज्य कोटे से संबंधित काउंसलिंग शेड्यूल में टकराव से व्यथित हैं। राज्य कोटे से कई उम्मीदवारों को एआईक्यू चरण-3 में पंजीकरण करने और सीटें पाने का मौका मिला, जो अन्यथा एआईक्यू चरण-3 के लिए पंजीकरण करने के लिए अयोग्य थे।
याचिका में कहा गया है कि जब राज्य से संबंधित चरण-2 काउंसलिंग शुरू हुई, तो उनके पास सर्वोत्तम विकल्पों में से चुनने और राज्य से संबंधित काउंसलिंग में बेहतर सीट मिलने पर एआईक्यू सीट छोड़ने का विकल्प था।
इसमें कहा गया है, ‘‘इससे याचिकाकर्ताओं और उनकी तरह के अन्य अभ्यर्थियों के लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा हुआ, क्योंकि वे उन सीट से वंचित रह गए, जो राज्य संबंधी अभ्यर्थियों को मिल गईं, जिनके चरण-2 की काउंसलिंग पहले शुरू नहीं हुई थी।’’
याचिका में कहा गया है, "यदि सभी राज्यों में राज्यवार चरण-2 काउंसलिंग पूरी होने के बाद एआईक्यू चरण-2 आयोजित किया गया होता, तो उम्मीदवारों के एक समूह को एआईक्यू चरण-3 में सीट पाने और बाद में राज्यवार चरण-2 में भाग लेने के दौरान इसे छोड़ने का अनुचित लाभ नहीं मिलता।"
याचिका में कहा गया कि ‘एमसीसीसी’ ने राज्य संबंधी काउंसलिंग चरण-2 के समापन से पहले एआईक्यू चरण-3 काउंसलिंग आयोजित की, जिसके कारण मध्यप्रदेश के अभ्यर्थियों को सीट मिल गईं, जहां राज्य संबंधी काउंसलिंग का चरण-2 तब तक समाप्त नहीं हुआ था।