Abhay Pratap Singh | November 11, 2025 | 08:11 AM IST | 2 mins read
भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री के रूप में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने यूजीसी, आईआईटी, साहित्य अकादमी और आईसीसीआर सहित कई प्रमुख संस्थानों की नींव रखी।

नई दिल्ली: भारत में हर साल 11 नवंबर को देश के पहले शिक्षा मंत्री और भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली के प्रमुख निर्माताओं में से एक मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सम्मान में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने सितंबर 2008 में मौलाना अबुल कलाम की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में सेमिनार, निबंध प्रतियोगिता, कार्यशाला और जागरूकता रैलियों जैसी विविध गतिविधियों के माध्यम से मनाया जाता है। यह दिन भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार, समकालीन चुनौतियों के समाधान और शिक्षा को मौलिक अधिकार मानने की संवैधानिक प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री (1947-1958) के रूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), साहित्य अकादमी और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) सहित कई प्रमुख संस्थानों की नींव रखी। उनका मानना था कि शिक्षा सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्रीय विकास का माध्यम होनी चाहिए।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का (सऊदी अरब) में हुआ था। बाद में उनका परिवार कलकत्ता (अब कोलकाता ) में बस गया, जहां उन्होंने अरबी, फ़ारसी और इस्लामी धर्मशास्त्र की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उनका पूरा नाम अबुल कलाम मोहिउद्दीन अहमद था। 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
दुनियाभर में 24 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शांति और विकास में शिक्षा की भूमिका के उपलक्ष्य में 24 जनवरी को इंटरनेशनल एजुकेशन डे के रूप में घोषित किया था। अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2025 की थीम “एआई और शिक्षा: स्वचालन की दुनिया में मानव एजेंसी का संरक्षण” विषय पर आधारित थी।