Press Trust of India | October 18, 2025 | 03:36 PM IST | 2 mins read
सरकार ने कक्षा 4 के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति राशि को संशोधित कर ₹5,000 प्रति वर्ष और कक्षा 7 के छात्रों के लिए ₹7,500 प्रति वर्ष कर दिया है।
मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने राज्य छात्रवृत्ति परीक्षा संरचना में बदलाव को मंज़ूरी दे दी है, जिसके तहत अब कक्षा 4 और 7 के लिए 'प्री-अपर प्राइमरी' और 'प्री-सेकेंडरी' परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, संशोधित संरचना 2025-26 शैक्षणिक वर्ष से लागू की जाएगी, और इस परिवर्तन के दौरान, कक्षा 5 और 8 छात्रवृत्ति परीक्षा फरवरी 2026 में आयोजित की जाएगी, जबकि नई कक्षा 4 और 7 की परीक्षाएं अप्रैल या मई 2026 में आयोजित की जाएंगी।
सरकार ने कक्षा 4 के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति राशि को संशोधित कर ₹5,000 प्रति वर्ष और कक्षा 7 के छात्रों के लिए ₹7,500 प्रति वर्ष कर दिया है। कक्षा 4 के स्तर पर ₹16,693 और कक्षा 7 के स्तर पर ₹16,588 की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।
वर्ष 1954-55 में शुरू की गई इस छात्रवृत्ति योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के मेधावी और आर्थिक रूप से वंचित छात्रों को प्रोत्साहित करना है। 2015 में किए गए पहले बदलाव के तहत परीक्षाओं को कक्षा 5 और 8 में स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन तब से इसमें भाग लेने वाले छात्रों की संख्या में काफी गिरावट आई है। इसलिए सरकार ने भागीदारी और शैक्षणिक प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए पहले के कक्षा स्तर पर लौटने का निर्णय लिया है।
संशोधित नियमों के अनुसार, सरकारी, सहायता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त, स्थायी रूप से गैर-सहायता प्राप्त और स्व-वित्तपोषित स्कूलों के छात्र परीक्षा में बैठने के पात्र हैं। सीबीएसई, आईसीएसई और अन्य मान्यता प्राप्त बोर्ड के छात्र भी कुछ शर्तों के अधीन परीक्षा में भाग ले सकेंगे। परीक्षा वर्ष की एक जून तक कक्षा चार की परीक्षा के लिए अधिकतम आयु सीमा 10 वर्ष (दिव्यांग छात्रों के लिए 14 वर्ष) तथा कक्षा सात की परीक्षा के लिए 13 वर्ष (दिव्यांग छात्रों के लिए 17 वर्ष) है।
सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए परीक्षा शुल्क ₹200 और आरक्षित वर्ग व दिव्यांग छात्रों के लिए ₹125 होगा। प्रत्येक प्रतिभागी विद्यालय को परीक्षा बोर्ड को ₹200 का वार्षिक पंजीकरण शुल्क भी देना होगा।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्राथमिक छात्रवृत्ति परीक्षा (कक्षा चार) सरकारी, जनजातीय और विमुक्त एवं घुमंतू जनजाति विद्यानिकेतन के लिए प्रवेश परीक्षाओं के साथ संयुक्त रूप से आयोजित की जाती रहेगी तथा प्रत्येक छात्रवृत्ति तीन वर्ष की अवधि के लिए प्रदान की जाएगी।