Abhay Pratap Singh | September 24, 2025 | 06:34 PM IST | 2 mins read
आरोपी ने खुलासा किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारी नुकसान हुआ था और वह भारी कर्ज में डूबा हुआ था, जिसके कारण उसने ऑनलाइन नकली किताबें बेचनी शुरू कर दीं।
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक की नकली किताबें बेचने के आरोप में 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया और 15 लाख रुपए से अधिक मूल्य की 3,200 से अधिक प्रतियां भी जब्त कीं। पुलिस ने बताया कि उन्हें राजधानी में पुस्तक व्यापार के केंद्र दरियागंज में एक पुस्तक की नकली प्रतियों की बिक्री के बारे में शिकायत मिली थी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एक टीम ने 22 सितंबर को कूचा लालमान में एक दुकान पर छापेमारी की।
एक अधिकारी ने बताया, “छापेमारी के दौरान 758 नकली किताबें बरामद की गईं और तीन लोगों ओंकार (25), दीपक (25) और सत्यम (38) को गिरफ्तार किया गया। उनसे पूछताछ के बाद मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने अगले दिन दिल्ली गेट के कटरा सुजान राय में एक अन्य दुकान पर छापा मारा, जहां से 2,475 और नकली किताबें जब्त की गईं और एक अन्य आरोपी कुतुबुद्दीन उर्फ चांद को पकड़ा गया।”
उन्होंने बताया कि दोनों स्थानों पर छापेमारी के दौरान कुल 3,233 नकली पुस्तकें जब्त की गईं। ओमकार ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि पहले उसके पिता दुकान चलाते थे, लेकिन एक महीने पहले उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उसने अपने चचेरे भाइयों दीपक और सत्यम के साथ मिलकर कारोबार संभाला और जल्द पैसा कमाने के लिए नकली किताबें बेचने लगे।
अधिकारी ने कहा, “कुतुबुद्दीन ने खुलासा किया कि उसे कोविड-19 महामारी के दौरान भारी नुकसान हुआ था और वह भारी कर्ज में डूबा हुआ था, जिसके कारण उसने ऑनलाइन नकली किताबें बेचनी शुरू कर दीं।” पुलिस के अनुसार, ओंकार ने बी.कॉम की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी। दीपक ने कक्षा 12 तक पढ़ाई की है और सत्यम की कोई शैक्षिक योग्यता नहीं है।
आगे बताया कि, ये तीनों उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल नगर के निवासी हैं। कुतुबुद्दीन भी दिल्ली का निवासी है। इन चारों में से कोई भी पहले किसी भी तरह के अपराध में शामिल नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि बड़े गिरोह का पता लगाने और इन नकली किताबों के स्रोत की पहचान करने के लिए मामले की जांच जारी है।