Manmohan Singh: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने एक समय प्री-मेडिकल कोर्स में लिया था दाखिला, बाद में छोड़ी पढ़ाई

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की बेटी ने अपनी पुस्तक ‘स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण’ में लिखा कि अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है जो उन्हें आकर्षित करता था।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में 26 दिसंबर, 2024 को निधन हो गया। (इमेज -आधिकारिक एक्स/@INCIndia)
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में 26 दिसंबर, 2024 को निधन हो गया। (इमेज -आधिकारिक एक्स/@INCIndia)

Press Trust of India | December 27, 2024 | 08:10 AM IST

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक समय प्री-मेडिकल कोर्स में दाखिला लिया था क्योंकि उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन कुछ महीनों के बाद ही उन्होंने इस विषय में रुचि खो दी और मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी। पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी दमन सिंह ने उन पर लिखी गई एक पुस्तक में इस बात का जिक्र किया है।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार (26 दिसंबर, 2024) को निधन हो गया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)-दिल्ली ने बताया कि 92 वर्षीय सिंह को "अचानक बेहोश" होने के बाद गंभीर हालत में आपातकालीन विभाग लाया गया था।

दमन सिंह ने 2014 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण' में यह भी लिखा कि अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है जो उन्हें आकर्षित करता था। उन्होंने यह भी लिखा कि उनके पिता में हास्य की अच्छी समझ थी। अप्रैल 1948 में मनमोहन सिंह ने अमृतसर के खालसा कॉलेज में दाखिला लिया था।

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दमन ने अपनी पुस्तक में इसका उल्लेख करते हुए लिखा, ‘‘चूंकि, उनके पिता चाहते थे कि वह चिकित्सक बनें, इसलिए उन्होंने (मनमोहन सिंह) दो वर्षीय एफएससी पाठ्यक्रम में दाखिला ले लिया, जिससे उन्हें चिकित्सा में आगे की पढ़ाई करने का मौका मिलता। कुछ ही महीनों बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। चिकित्सक बनने में उनकी रुचि खत्म हो गई थी। असल में, विज्ञान पढ़ने में भी उनकी रुचि खत्म हो गई थी।’’

बता दें कि, मनमोहन सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में वित्त मंत्री भी रहे। वे 1991 में आर्थिक सुधारों के निर्माता और विचारक थे, जिसने भारत को दिवालियापन के कगार से बाहर निकाला और आर्थिक उदारीकरण के युग की शुरुआत की। माना जाता है कि मनमोहन सिंह ने भारत की आर्थिक प्रगति की दिशा बदल दी।

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