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Economic Survey 2023-24: पीएम पोषण योजना से 11.63 करोड़ बच्चे लाभान्वित, 26.52 करोड़ छात्रों को स्कूली शिक्षा

Santosh Kumar | July 22, 2024 | 06:41 PM IST | 4 mins read

2012-13 में 88.1% की तुलना में 2022-23 में लड़कियों के लिए 97% स्कूलों में शौचालय उपलब्ध हैं। इसी तरह, लड़कों के लिए शौचालयों की संख्या 2012-13 में 67.2% की तुलना में अब बढ़कर 95.6% हो गई है।

सर्वेक्षण के अनुसार, स्कूलों में बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)
सर्वेक्षण के अनुसार, स्कूलों में बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज (22 जुलाई) संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा कि 2020 में शुरू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) एक महत्वपूर्ण नीति दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली, जिसमें सरकारी और निजी स्कूल शामिल हैं, लगभग 26 करोड़ छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रही है।

समीक्षा में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का उद्देश्य 3-18 वर्ष आयु वर्ग के सभी शिक्षार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना है। समीक्षा में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, मई 2023 में 'पोषण भी पढाई भी' (पीबीपीबी) शुरू किया गया था। निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 24 (दिसंबर 2023 तक) में 10.67 लाख स्कूलों के 11.63 करोड़ बच्चों को पीएम पोषण योजना का लाभ मिला है।

सर्वेक्षण में इस बात पर जोर दिया गया है कि 6 वर्ष की आयु तक बच्चे के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास हो जाता है। इस संदर्भ में, आंगनवाड़ी प्रणाली बच्चों के भविष्य और उनके विकास को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

सर्वेक्षण के अनुसार, सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 40,000 मास्टर ट्रेनरों के माध्यम से ECCE सिद्धांतों पर प्रशिक्षित किया जाएगा। जनवरी 2024 तक, 25 राज्यों और 182 जिलों में 95 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से 3735 राज्य-स्तरीय मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षित किए जा चुके हैं।

सरकार की प्रमुख योजनाएं और पहल

स्कूली शिक्षा में सरकार की कुछ प्रमुख योजनाएं एनईपी 2020 के लक्ष्यों और नीतियों को लागू करने और आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं। एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम निष्ठा का विस्तार सभी स्तरों पर शिक्षकों को शामिल करने के लिए किया गया है। निष्ठा ईसीसीई में 1,26,208 मास्टर प्रशिक्षकों को प्रमाणित किया गया है।

भारत सरकार ने अगले 5 वर्षों में सभी 613 क्रियाशील जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (DIET) को अपग्रेड करने का निर्णय लिया है। इस अपग्रेडेशन प्रक्रिया के पहले चरण में वित्त वर्ष 2024 के दौरान देश भर के 125 DIET के लिए ₹92,320.18 लाख की राशि स्वीकृत की गई है।

प्रीस्कूल शिक्षा प्राप्त और बिना प्रीस्कूल शिक्षा वाले ग्रेड-1 के छात्रों के लिए विद्या प्रवेश नामक एक खेल-आधारित 'स्कूल तत्परता मॉड्यूल' 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किया गया है। वर्ष 2023-24 में 8.46 लाख स्कूलों के 1.13 करोड़ छात्रों को इस योजना के तहत कवर किया गया है।

वर्तमान में, देश भर में 5116 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में 7.07 लाख छात्राएं नामांकित हैं। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा (सीडब्ल्यूएसएन) के तहत, प्री-प्राइमरी से कक्षा 12 तक विशेष आवश्यकता वाले 18.50 लाख बच्चों को कवर किया गया है।

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दीक्षा पहल के अंतर्गत, शिक्षार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए 36 भारतीय और विदेशी भाषाओं में एक निःशुल्क मोबाइल एप्लिकेशन और वेब पोर्टल लॉन्च किया गया है। इस पहल के तहत 1.71 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को 3.53 लाख ई-सामग्री प्रदान की गई है।

पीएम-एसएचआरआई के तहत स्कूलों का चयन तीन चरणों में पूरा हो चुका है। 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 10,858 स्कूलों का चयन किया गया है। वित्त वर्ष 2025 में 10,080 पीएम-एसएचआरआई स्कूलों के लिए 5942.21 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।

पीएम पोषण योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 1-8 तक के छात्रों को गर्म पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जाता है। वित्त वर्ष 2024 (दिसंबर 2023 तक) में 10.67 लाख स्कूलों के 11.63 करोड़ बच्चे इससे लाभान्वित हुए हैं।

राष्ट्रीय साधन सह योग्यता छात्रवृत्ति योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को स्कूल छोड़ने से बचाने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। वर्ष 2023-24 में 2,50,089 छात्रों को कुल ₹300.10 करोड़ की छात्रवृत्ति स्वीकृत की गई है।

स्कूल के बुनियादी ढांचे में प्रगति

हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, स्कूलों में बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है। 2012-13 में 88.1% की तुलना में 2022-23 में लड़कियों के लिए 97% स्कूलों में शौचालय उपलब्ध हैं। इसी तरह, लड़कों के लिए शौचालयों की संख्या 2012-13 में 67.2% की तुलना में अब बढ़कर 95.6% हो गई है।

हाथ धोने की सुविधा का प्रावधान भी 2012-13 में 36.3% से बढ़कर 2022-23 में 94.1% हो गई है। बिजली वाले स्कूलों की संख्या 2012-13 में 54.6% से बढ़कर 2022-23 में 91.7% हो गई है। इंटरनेट एक्सेस भी 2012-13 में 6.2% से बढ़कर 2022-23 में 49.7% हो गई है, और कंप्यूटर एक्सेस भी 2012-13 में 22.2% से बढ़कर 2022-23 में 47.7% हो गई है।

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