Press Trust of India | August 7, 2025 | 07:48 AM IST | 1 min read
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली सरकार को उस याचिका पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जिसमें आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और वंचित वर्ग के छात्रों से शुल्क वसूल रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग को शिकायतों पर गौर करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया।
याचिका में अदालत से यह आग्रह किया गया कि स्कूलों द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन न हो। पीठ को बताया गया कि इससे पहले शिक्षा विभाग को एक आवेदन दिया गया था, लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ।
याचिका में दावा किया गया कि ऐसे कई छात्रों से शुल्क वसूले जा रहे हैं और भुगतान न करने के कारण उन्हें निष्कासित भी किया गया है। अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया है।
साथ ही याचिकाकर्ताओं को चार सप्ताह के भीतर शिक्षा विभाग के समक्ष विस्तृत आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने शिक्षा विभाग को 10 सप्ताह के भीतर आवेदन पर निर्णय लेने का भी निर्देश दिया।
ये नतीजे आधिकारिक वेबसाइट upmsp.edu.in और results.upmsp.edu.in पर जारी किए गए हैं। यूपी बोर्ड कंपार्टमेंट परीक्षा में वे छात्र शामिल हुए थे जो नियमित परीक्षा में एक या दो विषयों में पास नहीं हो पाए थे। बोर्ड ने नतीजों के साथ-साथ आंकड़े भी साझा किए हैं।
Santosh Kumar