‘शिक्षा के व्यावसायीकरण ने गुणवत्ता को प्रभावित किया, शिक्षा कभी भी आय का स्रोत नहीं था’ - उपराष्ट्रपति धनखड़

जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि आज युवाओं के बीच लगातार बढ़ते अवसरों को लेकर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने राजस्थान में शोभासारिया शैक्षणिक समूह के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। (स्त्रोत-आधिकारिक 'एक्स'/@VPIndia)
उपराष्ट्रपति ने राजस्थान में शोभासारिया शैक्षणिक समूह के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। (स्त्रोत-आधिकारिक 'एक्स'/@VPIndia)

Abhay Pratap Singh | October 20, 2024 | 05:41 PM IST

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि “शिक्षा के व्यावसायीकरण ने उसकी गुणवत्ता को प्रभावित किया है। शिक्षा कभी भी आय का स्रोत नहीं था, यह त्याग और दान का एक माध्यम था, जिसका उद्देश्य समाज की मदद करना था। लेकिन हम देखते हैं कि इसको फायदे के लिए बेचा जा रहा है। कुछ मामलों में तो यह जबरन वसूली का रूप ले रहा है।”

व्यापार, उद्योग, वाणिज्य और व्यवसाय जगत में लोगों से अपील करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने उन्हे संस्थानों के विकास में उदारतापूर्वक योगदान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि, “शिक्षा में कोई भी निवेश हमारे भविष्य, हमारे आर्थिक उत्थान में, शांति और स्थिरता में निवेश है।”

पीआईबी के अनुसार, राजस्थान के सीकर में शोभासारिया शैक्षिक समूह के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा “समय आ गया है कि हमें अपने टियर-2 और टियर-3 शहरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, पारिस्थितिकी तंत्र और समग्र विकास के लिए छात्रों के लिए स्थानीय लाभ मौजूद है।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि “हमारा संकल्प होना चाहिए कि जब भारत 2047 में विकसित राष्ट्र बने तो हम विश्व की महाज्ञान शक्ति बनें।”

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धनखड़ ने आगे कहा कि “एक नई बीमारी और है - विदेश जाने की, विदेश में पढ़ाई करने की। बच्चा लालायित होकर जाना चाहता है, उसको नया सपना दिखता है, उसको लगता है कि वहां जाते ही स्वर्ग मिल जाएगा। उनका यह फैसला देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर एक गहरी चोट है।”

भारत में शिक्षा का इतिहास -

उपराष्ट्रपति ने भारत में शिक्षा के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा, “एक जमाना था हमारे भारत में तक्षशिला, नालंदा, मिथिला, वल्लभी, विक्रमशिला ऐसी अनेक संस्थाएं थी। दलाई लामा ने कहा कि जो भी बुद्ध का ज्ञान है वह सब नालंदा से निकला, किन्तु बख्तियार खिलजी ने अपनी कट्टरता के कारण नालंदा में स्थित शिक्षा के महान केंद्र को नष्ट कर दिया।”

शिक्षा में तकनीकी विस्तार-

धनखड़ ने कहा कि “आज के दिन टेक्नोलॉजी हमारे बीच आ गई है। हम इसका उतना उपयोग नहीं कर पा रहे हैं जितना होना चाहिए। हमारे अध्यापक-अध्यापिकाओं में यह प्रतिभा है किन्तु हम भौतिक बाधाओं से घिरे हैं। हमें शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए, जिससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में काफी मदद मिलेगी।”

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