सीसीपीए ने यूपीएससी रिजल्ट के संबंध में भ्रामक विज्ञापनों के लिए दृष्टि आईएएस पर लगाया 5 लाख रुपए का जुर्माना

Press Trust of India | October 3, 2025 | 04:19 PM IST | 1 min read

जांच से पता चला कि दृष्टि आईएएस की ओर से जिन 216 अभ्यर्थियों को लेकर दावा किया गया है उनमें से 162 (75 प्रतिशत) ने यूपीएससी की सीएसई के प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के चरण को स्वतंत्र रूप से पास करने के बाद संस्थान के केवल निःशुल्क साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रम (आईजीपी) में भाग लिया था।

सीसीपीए ने कहा कि इसी तरह के आचरण के लिए दृष्टि आईएएस पर लगाया गया यह दूसरा जुर्माना है। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)
सीसीपीए ने कहा कि इसी तरह के आचरण के लिए दृष्टि आईएएस पर लगाया गया यह दूसरा जुर्माना है। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई)-2022 के नतीजों के संबंध में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए ‘दृष्टि आईएएस’ (वीडीके एडुवेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड) पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। दृष्टि आईएएस ने अपने विज्ञापन में सफल अभ्यर्थियों के नाम और तस्वीरों के साथ यूपीएससी की सीएसई-2022 में 216 से अधिक विद्यार्थियों के चयन का प्रमुखता से दावा किया था।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि जांच करने पर सीसीपीए ने पाया कि यह दावा भ्रामक था और इसमें इन अभ्यर्थियों द्वारा चयनित पाठ्यक्रमों के प्रकार और अवधि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी।

जांच से पता चला कि दृष्टि आईएएस की ओर से जिन 216 अभ्यर्थियों को लेकर दावा किया गया है उनमें से 162 (75 प्रतिशत) ने यूपीएससी की सीएसई के प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के चरण को स्वतंत्र रूप से पास करने के बाद संस्थान के केवल निःशुल्क साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रम (आईजीपी) में भाग लिया था। केवल 54 छात्र ही आईजीपी और अन्य पाठ्यक्रमों में नामांकित थे।

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महत्वपूर्ण जानकारी को जानबूझकर छिपाने से अभ्यर्थियों और अभिभावकों को यह विश्वास हो गया कि यूपीएससी परीक्षा के सभी चरणों में इन अभ्यर्थियों की सफलता का श्रेय दृष्टि आईएएस को जाता है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(28) के तहत एक भ्रामक विज्ञापन है।

सीसीपीए ने यह भी कहा कि इसी तरह के आचरण के लिए दृष्टि आईएएस पर लगाया गया यह दूसरा जुर्माना है। इससे पहले, सितंबर 2024 में प्राधिकरण ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा-2021 में 150 से अधिक अभ्यर्थियों के चयन को लेकर भ्रामक दावे के लिए दृष्टि आईएएस के खिलाफ आदेश दिया था।

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