Abhay Pratap Singh | September 15, 2025 | 02:44 PM IST | 2 mins read
सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में क्रिया शरीर, रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना तथा स्वस्थवृत्त एवं योग पर 60 से अधिक विशेषज्ञों ने विशेष व्याख्यान दिया।
नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), नई दिल्ली ने आयुष मंत्रालय की आयुर्वेद योजना के अंतर्गत 8 से 13 सितंबर 2025 तक आयुर्वेद शिक्षकों के लिए तीन छह-दिवसीय सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रमों का आयोजन किया। ये कार्यक्रम राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (RAV), नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित किए गए।
पीआईबी के अनुसार, क्रिया शरीर, रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना तथा स्वस्थवृत्त एवं योग विभागों द्वारा आयोजित सीएमई कार्यक्रमों का उद्देश्य देश भर में आयुर्वेद शिक्षकों की क्षमता निर्माण, दक्षता उन्नयन और व्यावसायिक विकास को मजबूत करना था। क्रिया शरीर, रस शास्त्र और भैषज्य कल्पना तथा स्वस्थवृत्त और योग पर 60 से अधिक विशेषज्ञ ने विशेष व्याख्यान दिया है।
क्रिया शरीर विभाग ने विभिन्न राज्यों के 30 चयनित शिक्षकों को प्रशिक्षित किया, जिनमें 12 विशेषज्ञों ने ओज, अग्नि, मन, इंद्रिय, प्रकृति, निद्रा, जैव सूचना विज्ञान, उन्नत नाड़ी मूल्यांकन विधियों, हृदय-श्वसन प्रणाली, नवीन शिक्षण तकनीकों और मल्टी-ओमिक्स तथा ट्रांसक्रिप्टोम विश्लेषण सहित उन्नत अनुसंधान उपकरणों पर विस्तृत व्याख्यान दिए।
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रस शास्त्र और भैषज्य कल्पना पर आयोजित सीएमई के लिए 20 राज्यों से प्राप्त 208 आवेदनों में से 30 प्रतिभागियों को चुना गया। कुल 14 विशेषज्ञों ने औषधि मानकीकरण, सुरक्षा और प्रभावोत्पादकता मूल्यांकन, नियामक ढांचे, आयुर्वेदिक सौंदर्य प्रसाधन, आणविक अनुकरण और योगों के कार्यात्मक लक्षण वर्णन पर चर्चा की।
स्वस्थवृत्त और योग सीएमई में 20 राज्यों से 136 पंजीकरण प्राप्त हुए, जिनमें से 30 प्रतिभागियों का चयन किया गया। एम्स, निफ्टम और एमडीएनआईवाई सहित प्रमुख संस्थानों के 20 से अधिक विशेषज्ञों ने आयुर्वेदिक आहार विज्ञान, निद्रा विज्ञान, दिनचर्या, ऋतुचर्या, योगाभ्यास, तनाव प्रबंधन, पर्यावरणीय स्वास्थ्य, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर व्याख्यान दिए।
इन सीएमई कार्यक्रमों के माध्यम स, एआईआईए ने आयुर्वेद शिक्षकों को एडवांस अंतःविषयक शिक्षा और नवीन शैक्षणिक दृष्टिकोणों से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह पहल आयुर्वेद शिक्षा और अनुसंधान के मानकीकरण, आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण हेतु आयुष मंत्रालय के आयुर्वेद योजना के अंतर्गत दृष्टिकोण के अनुरूप है।