UNESCO Report: सिर्फ 60 प्रतिशत देशों में ही स्कूलों में भोजन और पेय पदार्थों के संबंध में कानून और मानक
ग्लोबल एजुकेशन रिपोर्ट में पाया गया कि 187 देशों में से केवल 93 देशों में ही स्कूली भोजन और पेय पदार्थों पर कानून या मानक हैं।
नई दिल्ली: यूनेस्को की 'ग्लोबल एजुकेशन रिपोर्ट (जीईएम)' में कहा गया है कि दुनिया के केवल 60% देशों में ही स्कूलों में दिए जाने वाले खाने-पीने के लिए कोई कानून या नियम हैं। यह रिपोर्ट 'लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन' और 'स्कूल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन रिसर्च कंसोर्टियम' द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई है। यह रिपोर्ट 'स्कूल मील्स कोएलिशन' के शोध का एक हिस्सा है।
रिपोर्ट में पाया गया कि 187 देशों में से केवल 93 देशों में ही स्कूली भोजन और पेय पदार्थों पर कानून या मानक हैं। इन 93 देशों में से केवल 29% ने ही स्कूलों में भोजन और पेय पदार्थों के विपणन को प्रतिबंधित करने के लिए उपाय किए हैं।
जीईएम टीम ने कहा कि 30 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, खाद्य एवं पोषण शिक्षा स्कूलों में मुख्य विषय के रूप में न होकर, ज्यादातर पाठ्येतर या परियोजना गतिविधियों के माध्यम से प्रदान की जाती है।
UNESCO Report: केवल 3 देशों ने किया नियमित मूल्यांकन
रिपोर्ट में कहा गया है, "28 देशों में से केवल 3 देशों ने नियमित मूल्यांकन किया। मूल्यांकन संबंधी जानकारी में भोजन और पोषण, ज्ञान, भोजन के पैटर्न, पोषण संबंधी स्थिति, आदतों और आहार के बारे में दृष्टिकोण और धारणाओं में परिवर्तन शामिल थे।"
रिपोर्ट में कहा गया है, "अधिकांश स्कूल भोजन कार्यक्रमों में पोषण, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ शिक्षा के लक्ष्य भी शामिल होते हैं। हालांकि, ऐसे बहुत कम कार्यक्रम हैं जो मोटापे को रोकने या कम करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।"
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स्कूलों में खाद्य विपणन पर कुछ सीमाएं
एक अन्य सर्वेक्षण में पाया गया कि 72 प्रतिशत देशों ने स्कूलों में खाद्य विपणन पर कुछ सीमाएं लगाई हैं, जबकि 52 प्रतिशत ने स्कूल परिसर में या उसके आस-पास खाद्य विपणन पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाया है।
जीईएम रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च आय वाले देशों में पोषण नीति और खाद्य प्रणाली में बदलाव की समीक्षा में पाया गया कि अधिकांश नीतियां लोगों को स्वस्थ भोजन करने के लिए प्रेरित करने के लिए संचार पर केंद्रित थीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य पर्यावरण में बदलाव खाद्य लेबलिंग, उत्पाद सुधार, स्कूलों में स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराने और खाद्य विज्ञापन को प्रतिबंधित करने पर केंद्रित है। अस्वास्थ्यकर भोजन या पेय की खपत को कम करने पर कम ध्यान दिया गया है।