NIT Rourkela: एनआईटी राउरकेला ने सोलर एनर्जी हार्वेस्टिंग में सुधार के लिए स्वच्छ ऊर्जा इनोवेशन विकसित किया

Saurabh Pandey | February 27, 2025 | 03:54 PM IST | 2 mins read

यह सिस्टम सोलर पैनल के आउटपुट की निरंतर निगरानी रखता है और इसके अधिकतम दक्षता पर काम करने के लिए जरूरी समायोजन भी करता है। इस तरह कम से कम ऊर्जा बर्बाद होती है।

रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में इस इनोवेशन के व्यापक उपयोग की संभावना है।
रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में इस इनोवेशन के व्यापक उपयोग की संभावना है।

नई दिल्ली : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउरकेला की एक रिसर्च टीम क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में सौर ऊर्जा प्रणालियों को अधिक कुशल, किफायती और विश्वसनीय बनाने की दिशा में काम कर रही है। एनआईटी राउरकेला में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर सुसोवन सामंता ने अपनी शोध टीम - सताब्दी भट्टाचार्य, पीएचडी की छात्रा और मधुस्मिता बारिक, डुअल डिग्री की छात्रा के साथ मिल कर कम लागत की एक प्रौद्योगिकी का नवाचार किया है, जो बदलते मौसम में भी सोलर पैनलों से अधिकतम बिजली प्राप्त करने में सक्षम है।

क्लीन एनर्जी अनुसंधान पहल (सीईआरआई) के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित रिसर्च टीम को विकसित तकनीक के लिए पेटेंट प्रदान किया गया है। पेटेंट टाइटल: मेथड एंड सिस्टम फॉर वोल्टेज सेंसर-बेस्ड मैक्सिमम पावर पॉइंट ट्रैकिंग फॉर फोटोवोल्टिक सिस्टम, पेटेंट संख्या 543360, आवेदन संख्या 202231039742।

सोलर पैनल के बारे में-

सोलर पैनल सूर्य प्रकाश से बिजली का उत्पादन करते हैं, लेकिन पूरा दिन तापमान और सूर्य प्रकाश की तीव्रता में बदलाव के कारण पूरे दिन बिजली उत्पादन की मात्रा में भी परिवर्तन होता रहता है। इसलिए सोलर पैनल जहां तक संभव हो हमेशा अधिकतम ऊर्जा उत्पादन के लिए एक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसे मैक्सिमम पावर पॉइंट ट्रैकिंग (एमपीपीटी) कहते हैं।

यह एक स्मार्ट सिस्टम है जो सूर्य प्रकाश और तापमान में परिवर्तन के अनुसार वोल्टेज और करंट का समायोजित करते हुए सोलर पैनलों को यथासंभव अधिकतम बिजली का उत्पादन करने में मदद करता है। इसमें एक माइक्रोकंट्रोलर होता है, जो एमपीपीटी एल्गोरिदम चालू कर सेंसर की मदद से वोल्टेज और करंट को मापता है और इसके साथ-साथ एक डीसी-डीसी कन्वर्टर होता है जो बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करता है।

यह सिस्टम सोलर पैनल के आउटपुट की निरंतर निगरानी रखता है और इसके अधिकतम दक्षता पर काम करने के लिए जरूरी समायोजन भी करता है। इस तरह कम से कम ऊर्जा बर्बाद होती है।

एनआईटी राउरकेला में विकसित इनोवेशन के कई अन्य उपयोग

  • सौर ऊर्जा से काम करने वाले आईओटी डिवाइस जैसे मौसम के सेंसर और रिमोट संचार टावर, जिनके लिए निरंतर ऊर्जा आपूर्ति जरूरी है।
  • कम लागत वाले उपभोक्ता सौर उत्पाद जैसे होम लाइटिंग सिस्टम और पोर्टेबल सोलर चार्जर, जिनके लिए सबसे अधिक विचार लागत और सक्षमता पर किया जाता है।
  • माइक्रोग्रिड और ऑफ-ग्रिड ऊर्जा समाधान, जो सुदूर या ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिरता और विश्वसनीयता के साथ बिजली आपूर्ति के स्रोत हैं।

शोध कई पत्रिकाओं में प्रकाशित

इस संबंध में प्रो. सामंता की टीम के शोध आईईईई ट्रांजेक्शन ऑन सस्टेनेबल एनर्जी और आईईईई ट्रांजेक्शन ऑन इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं।

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एनआईटी राउरकेला में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर सुसोवन सामंता ने इस इनोवेशन के बारे में बताया कि हमारी तकनीक बिजली के मामूली उतार-चढ़ाव को रोकने में सक्षम है, जबकि पुरानी तकनीकों के लिए यह चुनौती रही है। इसलिए हमारी तकनीक से स्थिरता और कुशलता के साथ बिजली प्राप्त करना सुनिश्चित होगा।

रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में इस इनोवेशन के व्यापक उपयोग की संभावना है। इससे महंगे करंट सेंसर की आवश्यकता समाप्त होगी तो लागत भी कम होगी और यह किफायती तथा छोटे सोलर प्रोजेक्ट के लिए सबसे उपयुक्त रहेगा।

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