मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कक्षा-3 और कक्षा-6 की पाठ्य पुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया गया है।
Press Trust of India | August 7, 2024 | 03:53 PM IST
नई दिल्ली: राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को सरकार पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की कुछ पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने का आरोप लगाते हुए सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है। हालांकि, सरकार ने उनके आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि विपक्ष के नेता ने जो विषय उठाया उसमें कोई तथ्य नहीं हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘‘अभी सात कक्षाओं की किताबें आई हैं। पहले इनमें प्रस्तावना हुआ करती थी, जिसके बारे में विपक्ष के नेता जिक्र कर रहे थे। अभी तक कक्षा 6 की जो नई पाठ्य पुस्तकें आई हैं उसमें भी प्रस्तावना है। न केवल प्रस्तावना बल्कि उसके साथ मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्य, राष्ट्रगान भी संविधान की प्रस्तावना और उसके मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन सारे विषयों को रखा गया और वह जो विषय रख रहे थे उसमें तथ्य नहीं था।’’
केंद्रीय मंत्री के जवाब के बाद भी खड़गे ने कहा कि कक्षा-3 और कक्षा-6 की पाठ्य पुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया गया है। उनके आपत्ति जताने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संबंधित मंत्री ने सदन में बयान दिया है और वह अगर गलत होगा तो यह विशेषाधिकार का मामला होगा।
इससे पहले, खड़गे ने इस मुद्दे को शून्यकाल में उठाया और अखबारों में छपी खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि एनसीईआरटी की कुछ पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया गया है। उन्होंने इसे ‘बहुत महत्वपूर्ण’ मुद्दा बताते हुए कहा कि प्रस्तावना हमारे संविधान की मूल आत्मा और संविधान तथा लोकतंत्र का मूलभूत आधार है।
उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव देश को लोगों को स्वीकार नहीं होगा। सांप्रदायिक विचारधारा को देश के लोगों पर थोपने के लिए सरकार पाठ्यक्रम के साथ छेड़छाड़ कर रही है। एनसीईआरटी ने यह जो कदम उठाया है, ठीक नहीं है। मैं सरकार से मांग करता हूं कि पाठ्यक्रमों में हुए बदलाव को लेकर एक विस्तृत तथ्य सदन के सामने रखें। इस मुद्दे पर सरकार स्पष्टीकरण दे और संविधान के बारे में अपना कदम वापस ले।
खड़गे के आरोपों का जवाब देते हुए सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि जिस तरीके से विपक्ष के नेता ने विषय उठाया है, उससे एक ध्वनि प्रतिबिंबित करने की कोशिश की गई कि शायद संविधान की प्रस्तावना या उसके मूल धाराओं से कुछ छेड़छाड़ हो रही है।
नड्डा ने कहा कि विपक्ष के नेता को यह ध्यान में रखना चाहिए कि कभी भी अखबार की कतरनें स्रोत नहीं हुआ करती हैं। स्रोत वास्तविक टेक्सबुक होती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार ने जितना संविधान का सम्मान किया है, उतना किसी सरकार ने नहीं किया है। प्रस्तावना के साथ छेड़छाड़ करने का सवाल ही नहीं उठता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी संविधान के प्रति समर्पित हैं और उनके ही नेतृत्व में 26 नवंबर 2014 से संविधान दिवस मनाने की शुरुआत हुई। सदन के नेता नड्डा ने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान के ऊपर डाका तो 25 जून 1975 को डाला गया था और संविधान की धज्जियां उड़ा दी गई थीं।