Education News: देश के 57 प्रतिशत स्कूलों में कंप्यूटर और 53% में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध - शिक्षा मंत्रालय

आंकड़ों के अनुसार, 90 प्रतिशत से अधिक स्कूल बिजली और छात्र-छात्रा के लिए अलग-अलग शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से लैस हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि, 2023-24 में छात्रों की कुल संख्या 37 लाख घटकर 24.8 करोड़ हो गई है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
रिपोर्ट में कहा गया कि, 2023-24 में छात्रों की कुल संख्या 37 लाख घटकर 24.8 करोड़ हो गई है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Press Trust of India | January 2, 2025 | 11:10 AM IST

नई दिल्ली: देश में केवल 57 प्रतिशत स्कूलों में कंप्यूटर चालू हालात में हैं, जबकि 53 प्रतिशत स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एक आंकड़े में यह जानकारी दी गई। ‘यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISI) प्लस’ डेटा एकत्र करने वाला मंच है, जिसे शिक्षा मंत्रालय द्वारा देश भर से स्कूली शिक्षा संबंधी डेटा एकत्रित करने के लिए तैयार किया गया है।

इसके आंकड़े में बताया गया है कि 90 प्रतिशत से अधिक स्कूल बिजली और छात्र-छात्रा के लिए अलग-अलग शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से लैस हैं, जबकि चालू हालत में कंप्यूटर, इंटरनेट सुविधा, रेलिंग युक्त रैंप जैसी उन्नत सुविधाएं सीमित हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल 57.2 प्रतिशत स्कूलों में ही कंप्यूटर चालू हालत में हैं, 53.9 प्रतिशत में ही इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है और 52.3 प्रतिशत में रेलिंग युक्त रैंप हैं। दाखिलों में भी बदलाव देखा गया है और 2023-24 में छात्रों की कुल संख्या 37 लाख घटकर 24.8 करोड़ हो गई है।

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सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) ने शैक्षिक स्तरों में असमानताओं को उजागर किया। प्रारंभिक स्तर पर जीईआर 96.5 प्रतिशत है, जबकि आधारभूत स्तर पर यह मात्र 41.5 प्रतिशत है। मिडिल और सेकेंडरी लेवल पर क्रमशः 89.5% और 66.5% छात्र पढ़ाई छोड़ देते हैं। उच्च शिक्षा के स्तर पर भी ड्रॉपआउट दर में तेजी से वृद्धि हुई है, मिडिल स्कूल में यह 5.2 प्रतिशत से बढ़कर सेकेंडरी स्तर पर 10.9 प्रतिशत हो गई है।

शिक्षा मंत्रालय ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ पर किए गए एक पोस्ट में लिखा, “NEP2020 हर बच्चे को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर बल देता है, सरकार ने हर विद्यार्थी के भविष्य में निवेश को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है। पिछले दशक में प्रति छात्र व्यय 10,780 रुपये (2013-14) से बढ़कर 25,043 रुपये (2021-22) हो गया है, जिसमें 130% से अधिक की वृद्धि हुई है।”

शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के तहत प्रयासों के बावजूद, बुनियादी ढांचे की कमी सार्वभौमिक शिक्षा की दिशा में हमारी प्रगति में बाधा बन रही है। 2030 के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संसाधनों का अनुकूलन करना महत्वपूर्ण है।”

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