जेईई, नीट जैसी प्रवेश परीक्षाओं के कठिनाई स्तर की समीक्षा के लिए आंकड़ों का विश्लेषण कर रही केंद्र सरकार

Press Trust of India | October 2, 2025 | 03:50 PM IST | 2 mins read

एक सूत्र ने बताया कि समिति इस बात पर गौर कर रही है कि प्रवेश परीक्षा की कठिनाई कक्षा 12 के पाठ्यक्रम के अनुरूप है या नहीं।

समिति की प्रतिक्रिया के आधार पर इन प्रवेश परीक्षाओं के कठिनाई स्तर की समीक्षा करने पर विचार किया जाएगा। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
समिति की प्रतिक्रिया के आधार पर इन प्रवेश परीक्षाओं के कठिनाई स्तर की समीक्षा करने पर विचार किया जाएगा। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) जैसी प्रवेश परीक्षाओं के कठिनाई स्तर की समीक्षा करने पर विचार कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह कक्षा 12वीं के पाठ्यक्रम के कठिनाई स्तर के अनुरूप हो और छात्रों को इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों पर निर्भर न रहना पड़े। कोचिंग से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए गठित एक विशेषज्ञ समिति से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर यह समीक्षा की जाएगी।

एक सूत्र ने बताया कि समिति इस बात पर गौर कर रही है कि प्रवेश परीक्षा की कठिनाई कक्षा 12 के पाठ्यक्रम के अनुरूप है या नहीं। कुछ अभिभावकों और कोचिंग संस्थानों का मानना है कि समन्वय की कमी के कारण कोचिंग पर निर्भरता बढ़ रही है।

सूत्र ने कहा, ‘‘समिति की प्रतिक्रिया के आधार पर इन प्रवेश परीक्षाओं के कठिनाई स्तर की समीक्षा करने पर विचार किया जाएगा।’’ जून में, एमओई ने कोचिंग पर निर्भरता कम करने के उपाय सुझाने के लिए विनीत जोशी की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया था।

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सूत्र ने बताया कि समिति स्कूली शिक्षा में उन कमियों की जांच करेगी जिनकी वजह से छात्र कोचिंग पर निर्भर हो जाते हैं। समिति इस बात पर गौर करेगी कि शिक्षा में आलोचनात्मक सोच, तर्क, विश्लेषण और नवाचार पर कम ज़ोर क्यों दिया जाता है।

समिति में सीबीएसई के अध्यक्ष, स्कूल और उच्च शिक्षा विभागों के संयुक्त सचिव, आईआईटी मद्रास, एनआईटी त्रिची, आईआईटी कानपुर, एनसीईआरटी के प्रतिनिधि और केंद्रीय, नवोदय और निजी स्कूलों के प्रधानाचार्य शामिल होंगे।

यह कदम सरकार को कोचिंग संस्थानों के छात्रों की आत्महत्या के मामलों, संस्थानों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि और उनमें सुविधाओं की कमी के साथ-साथ उनके द्वारा अपनाई गई शिक्षण विधियों के बारे में शिकायतें मिलने के बाद उठाया गया है।

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