Bihar Reservation Quota: बिहार में 65% आरक्षण का फैसला असंवैधानिक, पटना हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

पिछले साल 21 नवंबर को नीतीश सरकार ने राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में वंचित जातियों के लिए कोटा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी करने की अधिसूचना जारी की थी।

न्यायालय ने फैसले को रद्द करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के विरुद्ध बताया है। (इमेज-पीटीआई)न्यायालय ने फैसले को रद्द करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के विरुद्ध बताया है। (इमेज-पीटीआई)

Press Trust of India | June 20, 2024 | 02:41 PM IST

नई दिल्ली: बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार (20 जून) को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने के नीतीश सरकार के फैसले को रद्द किया है। हाईकोर्ट ने पिछले साल की गई आरक्षण बढ़ोतरी पर रोक लगा दी है जिसके तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के लिए कोटा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया था।

मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने नवंबर 2023 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा लाए गए कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील रितिका रानी ने कहा, "आरक्षण कानूनों में संशोधन संविधान का उल्लंघन है।"

Background wave

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, "दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मार्च में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने आज अंतिम आदेश दिया है जिसके आधार पर हमारी याचिकाएँ स्वीकार कर ली गई हैं।"

Also readBihar Job 2024: बिहार सरकार अगले तीन महीनों में 1.99 लाख ‘जॉब लेटर’ वितरित करेगी, नियुक्ति प्रक्रिया हुई पूरी

बता दें कि पिछले साल 21 नवंबर को नीतीश कुमार सरकार ने राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में वंचित जातियों के लिए कोटा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी करने की अधिसूचना जारी की थी। मुख्यमंत्री नीतीश की महागठबंधन सरकार ने जाति आधारित सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर ईबीसी, ओबीसी, दलित और आदिवासी के लिए आरक्षण बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था।

आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों (सवर्ण) के लिए 10 फीसदी आरक्षण को मिलाकर बिहार में नौकरियों और दाखिलों में कोटा बढ़कर 75 फीसदी हो गया था। बिहार आरक्षण अधिनियम को कई संगठनों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने बिहार आरक्षण अधिनियम को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के खिलाफ बताते हुए रद्द कर दिया है।

Download Our App

Start you preparation journey for JEE / NEET for free today with our APP

  • Students300M+Students
  • College36,000+Colleges
  • Exams550+Exams
  • Ebooks1500+Ebooks
  • Certification16000+Certifications