एआईसीटीई ने संस्थानों को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से बीबीए-बीसीए जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों का मॉडल विकसित करने का सुझाव दिया है।
Santosh Kumar | January 22, 2024 | 05:22 PM IST
नई दिल्ली: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में अलग-अलग संस्थानों में बंटी उच्च शिक्षा को एक संस्थान के दायरे में लाने की सिफारिशें अब आगे बढ़ने लगी है। इसके तहत अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने संस्थानों को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से बीबीए-बीसीए जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों का मॉडल विकसित करने का सुझाव दिया है। एआईसीटीई के सदस्य सचिव राजीव कुमार ने यह जानकारी दी।
राजीव कुमार ने कहा कि नियामक दायरे में आने से छात्र एआईसीटीई छात्रवृत्ति के लिए पात्र हो जाएंगे। इसके अलावा उन्हे इंटर्नशिप और प्रशिक्षण जैसे अधिक कौशल उन्मुख या रोजगार परक पाठ्यक्रमों से अवगत कराया जाएगा।
एआईसीटीई के सदस्य सचिव राजीव कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हवाला देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के बाद बदलते समय के अनुसार पाठ्यक्रम में बदलाव की जरूरत है क्योंकि पिछले 20 वर्षों से, बीबीए, बीसीए, बीएमएस पाठ्यक्रमों में संशोधन नहीं किया गया है।
हालांकि उनके इस निर्णय का बेंगलुरु यूनिवर्सिटी काउंसिल फॉर कॉमर्स एंड मैनेजमेंट के महासचिव मोहम्मद फारूक पाशा ने समर्थन नहीं किया। पाशा के अनुसार, “केवल कुछ पाठ्यक्रमों को एआईसीटीई के दायरे में लाने से ऐसे प्रभाव पड़ सकते हैं जो सभी कॉलेजों, विशेषकर स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं। काउंसिल अपने नियम, शर्तें और पाठ्यक्रम बनाएगी।' उन्होने कहा इस विषय पर हम संस्थानों और उच्च शिक्षा विभागों के साथ बैठकें भी कर रहे हैं।
आपको बता दें कि एआईसीटीई की टीम तीनों कोर्स के लिए नया मॉडल सिलेबस तैयार करने की दिशा में काम कर रही है। इसके तहत एआईसीटीई इंटर्नशिप, नई तकनीक, व्यावहारिक शिक्षा जैसे नए पहलुओं को पाठ्यक्रम में शामिल कर रही है। एआईसीटीई के सदस्य सचिव राजीव कुमार ने कहा कि नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत से पहले, हम संस्थानों को मॉडल पाठ्यक्रम में आवश्यक बदलाव करने का सुझाव देने का प्रयास कर रहे हैं।
छात्रवृत्ति मिलने का प्रावधान
कुमार ने कहा, “हम ग्रामीण संस्थानों को लेकर चिंतित हैं इसलिए बीबीए, बीसीए, बीएमएस पाठ्यक्रमों को विनियमित करने का निर्णय उनके लिए फायदेमंद होगा। एआईसीटीई के दायरे में आने के बाद मंजूरी लेने वाले संस्थान एआईसीटीई स्कॉलरशिप के लिए पात्र होंगे। इसके अलावा, संस्थान प्लेसमेंट की सुविधा भी देगी।
हालांकि, अधिकांश संस्थान इसे निर्णय को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। बेंगलुरु यूनिवर्सिटी काउंसिल फॉर कॉमर्स एंड मैनेजमेंट के महासचिव मोहम्मद फारूक पाशा ने कहा की यह एक तरफा फैसला है। किसी भी नए दिशानिर्देश या नीति को पेश करने के लिए कुछ बातचीत होनी चाहिए।
इसके अलावा पंजाब चंडीगढ़ कॉलेज शिक्षक संघ के कार्यकारी सदस्य सुखदेव रंधावा ने कहा, "ग्रामीण कॉलेजों में प्रवेश में पहले से ही गिरावट आ रही है और यदि तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को विनियमित किया जाता है, तो इसका सबसे अधिक प्रभाव ग्रामीण कॉलेजों पर पड़ेगा।"
वहीं इस पर एआईसीटीई के पूर्व चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि यह कदम तभी सार्थक होगा जब छात्रों पर ऊंची फीस का बोझ न डाला जाए, इसलिए परिषद को वार्षिक अनुमोदन शुल्क कम रखने का प्रयास करना चाहिए।
(Source- Careers360.com)