Teacher Recruitment Case: 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट का फैसला मानेगी यूपी सरकार, नई चयन सूची जल्द

सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि आरक्षण का लाभ सभी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मिलना चाहिए, ताकि किसी के साथ अन्याय न हो।

मुख्यमंत्री ने कहा, "सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।" (इमेज- ट्विटर)
मुख्यमंत्री ने कहा, "सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।" (इमेज- ट्विटर)

Santosh Kumar | August 19, 2024 | 10:33 AM IST

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है। योगी सरकार इस मामले को न तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी और न ही किसी अभ्यर्थी के साथ अन्याय होने देगी। हाईकोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार जल्द ही परिषदीय स्कूलों में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण संबंधी विसंगतियों को दूर कर नई मेरिट लिस्ट जारी करेगी।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि आरक्षण का लाभ सभी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मिलना चाहिए, ताकि किसी के साथ अन्याय न हो। उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार काम करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 3 महीने के भीतर 69,000 सहायक अध्यापकों की नई चयन सूची तैयार करने को कहा है।

बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान सीएम ने कहा, "सरकार का स्पष्ट मत है कि संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण सुविधा का लाभ आरक्षित वर्ग के सभी उम्मीदवारों को मिलना चाहिए और किसी भी उम्मीदवार के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।"

UP Teacher Recruitment Case: मामले पर राजनीतिक विवाद शुरू

हाईकोर्ट कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। विपक्षी दलों ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरक्षण के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि आरक्षण छीनने की भाजपा की जिद ने सैकड़ों निर्दोष अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकार में डाल दिया है।

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के हाल ही में दिए गए फैसले में जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस बृजराज सिंह की पीठ ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी चयन सूचियों को रद्द कर दिया, जिसमें आरक्षित वर्ग के 6,800 अभ्यर्थी शामिल थे।

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कोर्ट ने पहले के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी जो सामान्य श्रेणी की मेरिट सूची में शामिल होने के योग्य हैं, उन्हें सामान्य श्रेणी में गिना जाना चाहिए। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि ऊर्ध्वाधर आरक्षण का लाभ क्षैतिज आरक्षण श्रेणियों को भी मिलना चाहिए।

इस बीच, एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने हाईकोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करते हुए उपमुख्यमंत्री मौर्य पर निशाना साधा। यादव ने आरोप लगाया कि "चहेते उपमुख्यमंत्री" उस सरकार का हिस्सा हैं जिसने युवाओं से आरक्षण छीन लिया। उन्होंने कहा कि जब युवाओं को लंबी लड़ाई के बाद न्याय मिला, तो मौर्य खुद को उनका हितैषी दिखाने के लिए आगे आ गए हैं।

UP 69000 Shikshak Bharti: क्या है मामला?

राज्य सरकार ने 6 जनवरी 2019 को सहायक अध्यापक पदों के लिए भर्ती जारी की थी। भर्ती के लिए अनारक्षित वर्ग के लिए कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी के लिए कटऑफ 66.73 फीसदी थी। भर्ती में करीब 68 हजार शिक्षकों को नौकरी मिली थी। अभ्यर्थियों का आरोप है कि 69 हजार भर्तियों में आरक्षण नियमों की अनदेखी की गई।

अभ्यर्थी का दावा है कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत की जगह सिर्फ 3.86 प्रतिशत आरक्षण मिला। यानी 18,598 सीटों में से ओबीसी वर्ग को सिर्फ 2,637 सीटें ही मिलीं। जबकि उस समय सरकार ने कहा था कि ओबीसी वर्ग से करीब 31 हजार लोगों की नियुक्ति हुई।

शिक्षक भर्ती में आरक्षण अनियमितता का मामला लंबे समय से हाईकोर्ट में लंबित था। भर्ती में 19 हजार सीटों के आरक्षण को लेकर अनियमितता के आरोप लगे थे। इसके बाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षकों की मौजूदा सूची को गलत माना है और मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है।

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