सरकार ने कर्नाटक में नीट परीक्षा की जगह किसी अन्य मेडिकल प्रवेश परीक्षा को लाने या इसे कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) के साथ एकीकृत करने का प्रस्ताव रखा है।
Santosh Kumar | July 23, 2024 | 11:22 AM IST
नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार ने राज्य में नीट को खत्म करने के प्रस्ताव वाले विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार (22 जुलाई) को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को पेश किया गया और पारित कर दिया गया है। नीट पेपर लीक मामले के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार मौजूदा सत्र के दौरान दोनों सदनों में इस प्रस्ताव को पारित करने की तैयारी में है।
सरकार ने कर्नाटक में नीट परीक्षा की जगह किसी अन्य मेडिकल प्रवेश परीक्षा को लाने या इसे कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) के साथ एकीकृत करने का प्रस्ताव रखा है। यदि सरकार का यह विधेयक को पारित होता है, तो कर्नाटक की अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा होगी।
इससे पहले, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि नीट परीक्षा से उत्तर भारत के छात्रों को फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा, "नीट परीक्षा को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को राज्यों को अपनी परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति देनी चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक ने कॉलेज बनाए हैं, लेकिन नीट परीक्षा से उत्तर भारतीय छात्रों को लाभ मिल रहा है और हमारे अपने छात्र वंचित हो रहे हैं। हम सभी को एकजुट होकर इसके खिलाफ लड़ना होगा।
कर्नाटक से पहले पिछले महीने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने नीट के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया और केंद्र से राज्य सरकारों को मेडिकल प्रवेश आयोजित करने की अनुमति देने के लिए कहा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि गरीब छात्र नीट परीक्षा की तैयारी और लिखने का खर्च नहीं उठा सकते। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा था।
बता दें कि एनटीए द्वारा नीट-यूजी 2024 परीक्षा 5 मई को आयोजित की गई थी। यह परीक्षा 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी। इसमें 23 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे। उल्लेखनीय है कि 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक हासिल किए थे, जिसके बाद पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में नीट मामले को लेकर 40 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान टॉपर्स की सूची पर लंबी बहस हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी दिल्ली को तीन सदस्यीय कमेटी बनाने को कहा है ताकि एक सवाल के दो जवाबों को लेकर भ्रम दूर किया जा सके।