महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने भारतीय समाज में लैंगिक भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2008 में राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की। यह उत्सव अन्य सरकारी पहलों जैसे कि बेटी बचाओ और 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' के अनुरूप है।
Saurabh Pandey | January 24, 2025 | 10:06 AM IST
नई दिल्ली : देश में हर वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लैंगिक समानता और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पोषण में समान अवसरों को बढ़ावा देते हुए लड़कियों के अधिकारों, शिक्षा और कल्याण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या और लिंग आधारित हिंसा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को एड्रेस करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
इस दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें बेटी बचाओ, बाल लिंग अनुपात में सुधार और लड़कियों के लिए स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण बनाने जैसी पहलों के बारे में जागरूकता अभियान शामिल हैं।
राष्ट्रीय बालिका दिवस 2025 की थीम इस वर्ष "उज्ज्वल भविष्य के लिए लड़कियों को सशक्त बनाना" (Empowering Girls for a Bright Future) है। यह थीम लड़कियों को नेतृत्व करने और अपना भविष्य बनाने का मौका देने और समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने के महत्व पर जोर देती है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने भारतीय समाज में लैंगिक भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2008 में राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की। यह उत्सव अन्य सरकारी पहलों जैसे कि बेटी बचाओ और 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' के अनुरूप है। इसे बालिकाओं के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और भारत में उनके लिए लक्षित कल्याणकारी सेवाओं की दक्षता में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था। सरकार ने सभी क्षेत्रों में लड़कियों को समान अवसर प्रदान करने और उन्हें पहचानने के लिए इस दिन की शुरुआत की।
ऐसे देश में जहां लैंगिक असमानता, शिक्षा तक सीमित पहुंच, उच्च ड्रॉपआउट दर, बाल विवाह और लिंग आधारित हिंसा कायम है, यह पहल बहुत महत्व रखती है। राष्ट्रीय बालिका दिवस भेदभाव से निपटने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ लड़कियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को उजागर करने का प्रयास करता है। यह दिन उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र कल्याण के अधिकारों की बात करता है।