बिहार में पूर्ववर्ती इंडिया' गठबंधन सरकार द्वारा कराए गए जातीय सर्वेक्षण के आधार पर राज्य सरकार ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखा था। यह मामला फिलहाल न्यायालय में लंबित है।
Press Trust of India | June 20, 2025 | 01:47 PM IST
नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार (20 जून, 2025) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बिहार दौरे से पहले कहा कि राज्य में 65 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को लागू करने, 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को समाप्त करने और अनुच्छेद 15(5) के तहत वंचित वर्गों को निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने की जरूरत है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि कांग्रेस 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान इन तीनों विषयों को मजबूती से उठाएगी।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा कि, “प्रधानमंत्री आज बिहार में हैं। बिहार में पूर्ववर्ती इंडिया' गठबंधन सरकार द्वारा कराए गए जातीय सर्वेक्षण के आधार पर राज्य सरकार ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखा था। यह मामला फिलहाल न्यायालय में लंबित है। लेकिन बिहार की डबल इंजन सरकार ने इस मुद्दे पर लगभग पूरी तरह से हाथ खड़े कर दिए हैं।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की लंबे समय से यह स्पष्ट मांग रही है कि यदि इन तीन उपायों को लागू किया जाए, तो 65 प्रतिशत आरक्षण को व्यावहारिक रूप से लागू किया जा सकता है। रमेश का कहना है, "बिहार के आरक्षण कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। यह ठीक वैसा ही हो, जैसा 1994 में पी वी नरसिंह राव सरकार ने तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण को बनाए रखने के लिए किया था।"
उनके अनुसार, संविधान में संशोधन कर 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को हटाया जाए, ताकि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए अधिक आरक्षण सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि यह सीमा संविधान में नहीं, बल्कि बीते छह दशकों में उच्चतम न्यायालय के विभिन्न फैसलों के कारण बनी है।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि अनुच्छेद 15(5) के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और ईबीसी को निजी शैक्षणिक संस्थानों में भी आरक्षण दिया जा सकता है। यह प्रावधान 2006 में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा लाए गए संवैधानिक संशोधन के तहत लागू हुआ था और उच्चतम न्यायालय ने इसे बरकरार भी रखा था।
रमेश ने कहा कि पिछले 11 वर्षों से इस प्रावधान को व्यवहार में नहीं लाया गया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण से जुड़े इन तीनों मूलभूत मुद्दों को कांग्रेस संसद के आगामी मानसून सत्र में पूरी दृढ़ता के साथ उठाएगी। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा और 12 अगस्त तक चलेगा।