Santosh Kumar | August 14, 2024 | 06:28 PM IST | 2 mins read
बोर्ड ने कहा है कि स्कूलों को कक्षा 1 से 8 तक केवल एनसीईआरटी/एससीईआरटी की पुस्तकों का ही उपयोग करना होगा। हालांकि, स्कूल जरूरत के अनुसार पूरक या डिजिटल सामग्री का उपयोग कर सकते हैं।
नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कक्षा 9 से 12 तक के लिए एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों के उपयोग के संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। बोर्ड ने स्कूलों को कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए एनसीईआरटी या एससीईआरटी की पुस्तकों का पालन करने की सलाह दी है। इसके अलावा सीबीएसई ने स्कूलों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई भी पूरक पुस्तक चुनते समय उसमें कोई आपत्तिजनक सामग्री न हो।
जारी नोटिस के अनुसार, यदि स्कूल निजी प्रकाशक की पुस्तकें चुनते हैं, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन पुस्तकों में ऐसी कोई सामग्री न हो जो किसी वर्ग, समुदाय, लिंग या धर्म को ठेस पहुंचाती हो। स्कूलों को अपनी वेबसाइट पर निर्धारित पुस्तकों की सूची प्रकाशित करनी होगी, जिसमें प्रबंधक और प्रिंसिपल दोनों का हस्ताक्षरित घोषणापत्र शामिल होना चाहिए। इसे डाउनलोड करें और निर्धारित तिथि तक दस्तावेज जमा करें।
साथ ही इसमें यह पुष्टि होनी चाहिए कि उन्होंने किताबों की सामग्री की समीक्षा की है और इसके लिए पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। अगर किताबों में कोई गलत सामग्री पाई जाती है, तो स्कूल इसके लिए जवाबदेह होंगे और बोर्ड उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।
बोर्ड ने कहा है कि कक्षा 1 से 8 के लिए स्कूलों को एनसीईआरटी/एससीईआरटी की किताबों का उपयोग करना होगा। हालांकि, पूरक किताबों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इन किताबों का कंटेंट देश के स्कूलों के लिए बनाए गए नियमों (NCF-FS और NCF-SE) के अनुसार होना चाहिए। यह सामग्री व्यापक होनी चाहिए, जिसमें चर्चा, विश्लेषण, उदाहरण और अनुप्रयोगों के साथ मुख्य सामग्री शामिल हो।
वहीं, सीबीएसई ने कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकें अनिवार्य कर दी हैं। जहां एनसीईआरटी/एससीईआरटी की पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं, वहां सीबीएसई बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध सीबीएसई की पुस्तकों का उपयोग किया जाना चाहिए।
स्कूल आवश्यकतानुसार पूरक या डिजिटल सामग्री का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन इनकी सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे एनसीएफ-एसई के अनुरूप हैं और उनमें कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं है जो किसी समुदाय, लिंग या धार्मिक समूह की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती हो।