AIIMS School Survey: स्कूली छात्रों में 12 साल की उम्र से ही नशीले पदार्थों का खतरा, एम्स के सर्वे में खुलासा

Press Trust of India | December 10, 2025 | 04:50 PM IST | 1 min read

एम्स के शोधकर्ताओं सहित अन्य अध्ययनकर्ताओं ने दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद सहित अन्य शहरों में स्थित विद्यालयों के 5,900 से अधिक छात्रों से प्रश्न पूछे।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा, ‘‘पारिवारिक कलह भी अहम कारक था, जिसकी जानकारी लगभग एक-चौथाई प्रतिभागियों ने दी।’’(प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
अध्ययनकर्ताओं ने कहा, ‘‘पारिवारिक कलह भी अहम कारक था, जिसकी जानकारी लगभग एक-चौथाई प्रतिभागियों ने दी।’’(प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

नई दिल्ली: भारत के 10 शहरों के स्कूली छात्रों के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि उनके 12 से 13 वर्ष की आयु के बीच ही नशीले पदार्थों की चपेट में आने का खतरा हो सकता है, जिससे पता चलता है कि माध्यमिक विद्यालय पहुंचने से पहले ही हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

एम्स के शोधकर्ताओं सहित अन्य अध्ययनकर्ताओं ने दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद सहित अन्य शहरों में स्थित शहरी सरकारी, शहरी निजी और ग्रामीण विद्यालयों के 8वीं, 9वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के 5,900 से अधिक छात्रों से प्रश्न पूछे।

प्रश्न मादक पदार्थों के सेवन की आवृत्ति और उस उम्र से संबंधित थे जब किसी प्रतिभागी ने तंबाकू, शराब, भांग या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन शुरू किया था। इस शोध के लेखकों ने ‘नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अध्ययन में लिखा, ‘‘किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों के सेवन की शुरुआत की उम्र 12.9 वर्ष (सीमा 11-14 वर्ष) पाई गई, जो अन्य भारतीय अध्ययनों के समान है और कई अन्य रिपोर्ट की तुलना में कम है।’’

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उन्होंने लिखा, ‘‘इससे पता चलता है कि 12 वर्ष और उससे कम उम्र में ही रोकथाम और हस्तक्षेप की आवश्यकता है।’’ अध्ययन में शामिल 15 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कम से कम एक बार मादक पदार्थों का सेवन करने की बात स्वीकार की, जबकि 10 प्रतिशत ने पिछले एक वर्ष में मादक पदार्थों का सेवन करने की बात कही।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा, ‘‘पारिवारिक कलह भी अहम कारक था, जिसकी जानकारी लगभग एक-चौथाई प्रतिभागियों ने दी।’’ उन्होंने बताया कि पारिवारिक कलह के माहौल में रह रहे किशोरों में मादक पदार्थों की चपेट में आने का संबंध पाया गया है।

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