इसमें कुल 1% सीटें दृष्टिबाधित और कम दृष्टि वालों के लिए आरक्षित होनी चाहिए, लेकिन यूपीएससी ने इस नियम का पालन नहीं किया। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सीएमएसई-2025 की अधिसूचना में भी वही खामियां हैं जो 2024 की अधिसूचना में थीं।
Santosh Kumar | September 11, 2025 | 07:22 AM IST | 1 min read
याचिकाकर्ता के वकील ने मांग की कि यूपीएससी सीएमएसई परीक्षा में दृष्टिबाधित और कम दृष्टि वाले उम्मीदवारों के लिए 1% सीट आरक्षित करें।
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें सभी भर्ती चक्रों में संयुक्त चिकित्सा सेवा परीक्षा में दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों के लिए एक प्रतिशत सीट आरक्षित करने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने ‘मिशन एक्सेसिबिलिटी’ नामक संगठन की याचिका पर यूपीएससी और डीओपीटी, स्वास्थ्य मंत्रालय और दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग को नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने अधिकारियों को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा और अगली सुनवाई 3 दिसंबर तय की। याचिकाकर्ता के वकील ने मांग की कि यूपीएससी सीएमएसई परीक्षा में दृष्टिबाधित और कम दृष्टि वाले उम्मीदवारों के लिए 1% सीट आरक्षित करें।
यह याचिका याचिकाकर्ता संगठन के एक सदस्य द्वारा सीएमएसई-2024 में दृष्टिबाधित अभ्यर्थी के रूप में परीक्षा देने के बाद दायर की गई। इसमें कहा गया है कि कानून के तहत सरकारी नौकरियों में 4% आरक्षण दिव्यांगजनों के लिए अनिवार्य है।
इसमें कुल 1% सीटें दृष्टिबाधित और कम दृष्टि वालों के लिए आरक्षित होनी चाहिए, लेकिन यूपीएससी ने इस नियम का पालन नहीं किया। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सीएमएसई-2025 की अधिसूचना में भी वही खामियां हैं जो 2024 की अधिसूचना में थीं।
यह नई पद्धति जून 2025 से अधिसूचित सभी एसएससी परीक्षाओं पर लागू होगी। इसका उद्देश्य विभिन्न पालियों में आयोजित परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों की कठिनाई के स्तर में अंतर को समायोजित करना और सभी उम्मीदवारों के लिए निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित करना है।
Santosh Kumar