Press Trust of India | October 22, 2025 | 07:21 AM IST | 3 mins read
बिहार में 18 से 29 वर्ष की आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 1.63 करोड़ है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 22 से 25 प्रतिशत हिस्सा हैं।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल भले ही कई मुद्दों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त हैं, लेकिन राज्य के युवाओं के लिए शिक्षा व्यवस्था में सुधार तथा रोजगार सृजन सबसे अहम मुद्दे हैं। युवाओं का कहना है कि वे ऐसी सरकार चाहती हैं जो शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करे और रोजगार के अवसर पैदा करे। इनमें से कई युवा पहली बार मतदान करने जा रहे हैं और राज्य में बेरोजगारी तथा पलायन की स्थिति को लेकर चिंतित हैं।
राज्य में 6 और 11 नवंबर को 2 चरणों में मतदान होना है। करीब 14 लाख युवा पहली बार वोट डालेंगे। 18 से 29 वर्ष की आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 1.63 करोड़ है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 22 से 25 प्रतिशत हिस्सा हैं।
पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के स्नातकोत्तर छात्र अभिनव कुमार शुक्ला ने कहा, “वर्तमान सरकार से हमारी उम्मीदें अब खत्म हो चुकी हैं।” वह एसटीईटी परीक्षा की तैयारी करते हैं। उनका कहना था कि “राज्य में रोजगार सृजन की जरूरत है।”
जमुई जिले के रहने वाले और दृष्टिबाधित छात्र संतोष कुमार ने कहा, “पटना विश्वविद्यालय का वर्तमान, उसके गौरवशाली अतीत से मेल नहीं खाता। इसके पूर्व छात्र देश-विदेश में नाम कमा चुके हैं, लेकिन आज इसकी स्थिति बेहद खराब है।”
दृष्टिबाधित छात्र किशोर कुमार सिंह का कहना है कि बिहार में विकलांग अधिकार अधिनियम 2016 ठीक से लागू नहीं हो रहा। वे ऐसी पार्टी को वोट देंगे जो शिक्षा और इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन को प्राथमिकता दे।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए ऑडियो लैब जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। कई छात्रों ने प्रशांत किशोर के इस दावे को सराहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो “युवाओं को रोज़गार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।’’
विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग की प्रथम वर्ष की छात्रा महजबीन फिरदौस पहली बार मतदान करेंगी। उनका कहना है कि जनसुराज उन्हें “उम्मीद की किरण” लगती है, हालांकि उन्होंने कहा कि मतदान से पहले वह परिवार से सलाह लेंगी।
स्नातकोत्तर छात्र गौरव कुमार ने कहा, “शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र की हालत खराब है, भ्रष्टाचार चरम पर है, और पलायन बड़ी समस्या है।” उन्होंने कहा, “जहानाबाद ने राजद शासन में सबसे ज्यादा नुकसान झेला था, हम नहीं चाहते कि वह दौर दोबारा लौटे।”
प्रशांत किशोर पर उन्होंने कहा, “कम से कम वे मुद्दों पर बात कर रहे हैं और व्यावहारिक वादे कर रहे हैं, उनके उम्मीदवार भी साफ-सुथरे हैं।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि “किशोर की पार्टी की जीत की संभावना कम है।”
पटना साइंस कॉलेज के क्रिकेट मैदान पर अभ्यास करने के दौरान बेतिया के छात्र डी. के. प्रताप ने कहा, “ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार शिक्षा, रोजगार और पलायन नियंत्रण के मोर्चे पर पूरी तरह विफल रही है।”
कुछ छात्र इंडिया गठबंधन से उम्मीद लगाए हुए हैं। भूगोल विभाग के छात्र ध्रुव कुमार ने कहा, “मैं कॉलेज में बड़ी उम्मीदों के साथ आया, लेकिन शिक्षण पद्धति पुरानी है। शिक्षा प्रणाली में शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक लापरवाही झलकती है।”
उन्होंने कहा कि वे उम्मीदवार की योग्यता देखकर ही वोट देंगे। पूर्णिया के एक छात्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति जमीन पर ठीक से लागू नहीं हो रही। उन्होंने इच्छा जताई कि कोई ऐसा युवा नेता उभरे जो आधुनिक शिक्षा की जरूरत समझे।
सारण की अंशाली पाठक ने कहा कि “शिक्षा की बुनियाद को मजबूत करने और नागरिक अनुशासन को विकसित करने की जरूरत है, जो केवल एक सक्षम सरकार और जागरूक नागरिकों के संयुक्त प्रयास से ही संभव है।”